tag:blogger.com,1999:blog-6082220353483014655.post3322882048902567411..comments2023-06-16T05:27:19.711-07:00Comments on कुछ कहना है .....: "अनसुना"अजयhttp://www.blogger.com/profile/08315628810109172229noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6082220353483014655.post-56931835999722269492012-06-24T23:15:33.456-07:002012-06-24T23:15:33.456-07:00तुम्हारी रचना "मर्ज़ी" ज्यादा 'रीडर फ...तुम्हारी रचना "मर्ज़ी" ज्यादा 'रीडर फ्रेंडली' है... "अनसुना" के पहले दो छंद बहुत असरदार हैं, और "मर्ज़ी" के मुकाबले बहुत अच्छी शुरुआत देते हैं, लेकिन तीसरे छंद पर पहुँचते ही रीडर अटक जाता है. मेरे ख्याल से तीसरे छंद को और उसके बाद की पंक्तियों को दुबारा लिख के लय में लाने की ज़रूरत है.Hemant Yayavarhttps://www.blogger.com/profile/13889451521082584053noreply@blogger.com