जिंदगी....
जिंदगी फ़ख्त जिंदादिली होती तो कितना अच्छा था,
वरना बरसों पहले हम किसी दरख्त की शाख से क्यों लिपटे होते!
कुछ एक लम्हे हमे भी मिले होते सब-ए -हालात के लिए,
तो यूँ सिलसिलेवार इन यादों को न समेटते बैठते!
शुक्र है इस ज़िन्दगी ने खुद ही लिख दी ये कहानी,
वरना आज भी हम कोरे पन्नों को किसी गलियारे से बटोरते फिरते !!!!!!!!!
शुक्र है इस ज़िन्दगी ने खुद ही लिख दी ये कहानी,
ReplyDeleteवरना आज भी हम कोरे पन्नों को किसी गलियारे से बटोरते फिरते
सही कहा है.....जिंदगी अपने आप ही कहानी लिख देती है............
स्वागत है।
ReplyDeleteभैया माना कि स्मार्ट हो और कविता भी अच्छी लिख लेते हो, लेकिन हमारी खातिर अपना फोटो थोड़ा छोटा कर दो ना ।
अनुरोध यदि word verification रखा है तो हटा दें।
एक सुंदर छायाचित्र, लेआउट की बेहतर प्रस्तुति के साथ.
ReplyDeleteaapka swagat hai.....aapki kala ka bhi...
ReplyDeletewish you all the very best
bahut khoob
ReplyDeletenih shabd hun main
हिंदी ब्लॉगिंग जगत में आपका स्वागत है. हमारी शुभ कामनाएं आपके साथ हैं । अगर वर्ड वेरीफिकेशन को हटा लें तो टिप्पणी देने में सुविधा होगी आसान तरीका यहां है ।
ReplyDeletewah jee wah ! narayan narayan
ReplyDeleteआप की रचना प्रशंसा के योग्य है . लिखते रहिये
ReplyDeleteचिटठा जगत मैं आप का स्वागत है
गार्गी
स्वागत है।
ReplyDeleteblogging mein swagat hai......blog khoobsurt ban pada hai........
ReplyDeleteआपका ब्लॉग अच्छा लगा
ReplyDeletegood ,thought ful poem. pl keep writing.welcome to blogjagat.
ReplyDeletedr.bhoopendra
ज़िन्दगी का दिलचस्प फलसफ़ा लिख डाला..ब्लॉग़जगत मे आपका स्वागत है...!
ReplyDeleteJindagi ke upper vaise aapne khoob likha hai Ajay lakin aapne apni panktiyon mein kafi urdu shabdo ka istemaal kiya, jisse paathko ko samaghne mein dikkat ho sakti hai... isliye meri aapse requset hai ki aap urdu ka thoda kam pryog karete hue hindi ka jada proyg kare jisse parne walo ko koi parshani na ho.. Aur voh aapki khoobsurat pankteyon ka luft utha sake...
ReplyDeleteBahut he khoobsurat dhang se Zindagi ko pesh kiya gaya hai...Bhai wahh !!!!
ReplyDeletepadhkar mahosoosh karne par aachha laga............
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