ज़िन्दगी की तरह ज़िन्दगी मुस्कुराये तो क्या गम रहे, आंसुओं की जगह आँखें चुप सी रहें तो क्या गम रहे!!!!! सोचकर, सहमकर सपने संवर से जाएँ...... तो क्या गम रहे!!!!!!!!!! बात सुबह की थी, रात करवट बदलकर ख्वाब सोये से थे होके यूँ बेखबर, ज़ख्म ऐसे लगे, जैसे नीद से जगे सारे अरमां बिखरकर, आँखे रोने लगी जैसे किसकी कमी, फिर से लगने लगी, मिलकर जानकर कोई अपना लगे तो क्या गम रहे.........................!!
Tuesday, June 23, 2009
जिंदगी.........भाग -२ !!!!!!
ज़िन्दगी की तरह ज़िन्दगी मुस्कुराये तो क्या गम रहे, आंसुओं की जगह आँखें चुप सी रहें तो क्या गम रहे!!!!! सोचकर, सहमकर सपने संवर से जाएँ...... तो क्या गम रहे!!!!!!!!!! बात सुबह की थी, रात करवट बदलकर ख्वाब सोये से थे होके यूँ बेखबर, ज़ख्म ऐसे लगे, जैसे नीद से जगे सारे अरमां बिखरकर, आँखे रोने लगी जैसे किसकी कमी, फिर से लगने लगी, मिलकर जानकर कोई अपना लगे तो क्या गम रहे.........................!!
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kya baat hai !
ReplyDeletebahut khoob kaha.................